77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत भर के कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल का अनावरण किया: पीएम विश्वकर्मा योजना। 17 सितंबर, 2023 को विश्वकर्मा जयंती के दौरान द्वारका, नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर में लॉन्च की गई यह योजना, पारंपरिक शिल्प कौशल का समर्थन करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। 16 अगस्त, 2023 को पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा अनुमोदित, पीएम विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य विभिन्न पारंपरिक शिल्पों में कुशल व्यक्तियों का उत्थान करना है, जिससे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।
यह योजना अनौपचारिक या असंगठित क्षेत्र में लगे कार्यबल के एक महत्वपूर्ण हिस्से को लक्षित करती है, जहाँ लोहार, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, बढ़ई जैसे कारीगर अपने हाथों और औजारों से काम करते हैं। इन कारीगरों को विश्वकर्मा कहा जाता है। कारीगरों के ये कौशल अक्सर पीढ़ियों से आगे बढ़ते हैं, गुरु-शिष्य प्रारूप का पालन करते हुए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देते हैं, जो सदियों पुरानी परंपराओं की निरंतरता को बढ़ावा देता है। कारीगरों के उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार पहुंच को बढ़ाकर, पीएम विश्वकर्मा योजना इन कुशल व्यक्तियों को घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं, दोनों में एकीकृत करना चाहती है।
अपनी शुरुआत के बाद से, इस योजना के प्रति कारीगरों ने उल्लेखनीय रुचि दिखायी है, जिसके तहत 25.8 मिलियन आवेदन जमा किए गए हैं। इनमें से, 2.37 मिलियन आवेदकों ने तीन-चरण की सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने के बाद सफलतापूर्वक पंजीकरण कराया है।
इसके अलावा, लगभग 1 मिलियन पंजीकृत कारीगरों को ई-वाउचर के माध्यम से 15,000 रुपये तक के टूलकिट प्रोत्साहन से लाभ हुआ है, जिससे वे अपने शिल्प कौशल में वृद्धि करने वाले आधुनिक उपकरण प्राप्त करने में सक्षम हुए हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करने और देश की सांस्कृतिक विविधता और विरासत को मूर्त रूप देने वाले कारीगरों का समर्थन करने के लिए भारत सरकार के संकल्प का प्रमाण है।
योजना की मुख्य बातें
- पीएम विश्वकर्मा योजना केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित है, जिसका वित्तीय परिव्यय पांच साल (वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28) की अवधि के लिए 13,000 करोड़ रुपये है।
- विश्वकर्माओं को बायोमेट्रिक-आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करते हुए सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से निःशुल्क पंजीकृत किया जाता है।
- कारीगरों और शिल्पकारों को पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और एक आईडी कार्ड के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाती है।
- उन्हें 5% की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली किस्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किस्त) तक का गिरवी-मुक्त ऋण समर्थन प्राप्त होता है। भारत सरकार 8% की सीमा तक ब्याज अनुदान देती है और यह धनराशि बैंकों को अग्रिम रूप से प्रदान की जाती है।
- यह योजना, शिल्पकारों को बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन तथा डिजिटल लेनदेन और विपणन सहायता के लिए प्रोत्साहन सहित कौशल उन्नयन के तरीके प्रदान करती है।
मुख्य लाभ
- औजार सुविधाओं तक बेहतर पहुँच: औजार संसाधनों तक एमएसएमई की पहुँच में सुधार, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
- उद्योग-अनुरूप जनशक्ति: प्रतिभागियों को उद्योग मानकों को पूरा करने वाले कौशल देने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
- प्रक्रिया और उत्पाद विकास के लिए समर्थन: योजना प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों के भीतर विकास पहलों को सुविधाजनक बनाती है।
- परामर्श और नौकरी से जुड़ी सेवाएँ: योजना विभिन्न उद्योगों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप परामर्श और नौकरी से जुड़ी सेवाएँ प्रदान करती है।
कौन आवेदन कर सकता है
- औद्योगिक इकाइयाँ: विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र के लिए लक्षित।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम पात्रता: स्कूल छोड़ने वालों से लेकर एम.टेक डिग्री धारियों तक के लिए खुला है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत 25 पारंपरिक कार्य (ट्रेड) शामिल हैं
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, अपने हाथों और औजारों से अथक परिश्रम करने वाले भारत के विश्वकर्माओं के उत्थान, उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का एक प्रयास है।
यह योजना भारत भर के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी और सरकार के गरीबी उन्मूलन प्रयासों में मदद करेगी।