जल शक्ति मंत्रालय ने 15.07.2021 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्ड और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड का अधिकार क्षेत्र अधिसूचित कर दिया है, जो दोनों बोर्ड को दोनों राज्यों में गोदावरी और कृष्णा नदियों में सूचीबद्ध परियोजनाओं के प्रशासन, नियमन, संचालन और रखरखाव के मामले में जरूरी अधिकार और शक्ति प्रदान करता है। इस कदम से दोनों राज्यों में जल संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित होने का अनुमान है।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 (एपीआरए) में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में नदी के जल के प्रभावी प्रबंधन के प्रावधान शामिल हैं। इस अधिनियम में गोदावरी और कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्डों का गठन व इन बोर्डों के कामकाज की निगरानी के लिए सर्वोच्च परिषद के गठन का निर्धारण किया गया है।
केन्द्र सरकार ने एपीआरए, 2014 की धारा 85 के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए, गोदावरी और कृष्णा नदियों पर ऐसी परियोजनाओं के प्रशासन, नियमन, रखरखाव और संचालन के लिए 2 जून, 2014 को दो नदी प्रबंधन बोर्ड का गठन किया था, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जा सकता है।
दो बोर्ड का अधिकार क्षेत्र दर्ज करने के लंबे समय से लंबित मुद्दे का केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में अक्टूबर, 2020 में हुई सर्वोच्च परिषद की दूसरी बैठक में समाधान कर दिया गया। इस बैठक में फैसला लिया गया कि जीआरएमबी और केआरएमबी का अधिकार क्षेत्र भारत सरकार द्वारा तय किया जाएगा।
एपीआरए, 2014 की धारा 87 के प्रावधानों के क्रम में, भारत सरकार ने दो राजपत्र अधिसूचनाएं जारी की हैं, जिनमें से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में क्रमशः स्थित गोदावरी और कृष्णा नदी घाटियों में परियोजनाओं के प्रशासन, नियमन, रखरखाव और परिचालन के लिए एक जीआरएमबी और दूसरी केआरएमबी के अधिकार क्षेत्र से संबंधित है।
दोनों बोर्ड के अधिकार क्षेत्र के निर्धारण के लिए लिया गया यह फैसला नदी बोर्डों को एपीआरए, 2014 में उल्लिखित उनकी जिम्मेदारियों के निर्वहन में सक्षम बनाने और दोनों राज्यों में जल संसाधनों के प्रबंधन में कुशल बनाने दिशा में बड़ा कदम होगा। केन्द्र सरकार दोनों राज्यों के लोगों को समान लाभ सुनिश्चित करने के लिए दोनों बोर्डों के कामकाज को सुचारू रखने में दोनों राज्य सरकारों से भरपूर सहयोग और सहायता की उम्मीद करता है।