प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह विजन है कि व्यवस्था तभी बदली जा सकती है जब उसकी मशीनरी को आज की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षित किया जाये
पुलिस को निष्क्रियता (No Action) और अति सक्रियता (Extreme Action) से बचकर न्यायपूर्ण कार्य (Just Action) की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए
पुलिस की छवि में सुधार के लिए “संवाद और संवेदना” जरुरी है, इसीलिए सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के साथ ही जनता के साथ संवाद और जनसम्पर्क बढ़ाने की आवश्यकता
पुलिस अधीक्षक और उप-अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारियों को तहसील और गाँव में जाकर लोगों से मिलना चाहिए और रात्रि निवास करना चाहिए
सरदार पटेल ने कहा था कि अगर हमारे पास एक अच्छी अखिल भारतीय सेवा नहीं होगी तो संघ समाप्त हो जाएगा और भारत अखंड नहीं होगा, संघीय ढांचे को मजबूत करना और देश की अखंडता बनाए रखना आपका दायित्व
पुलिस अधिकारी जांच को जितना वैज्ञानिक और साक्ष्य आधारित बनाएँगे मानव शक्ति की जरूरत उतनी ही कम होगी
साइबर क्राइम के लिए मोदी सरकार ने तीन साल में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए, साइबर क्राइम से निपटने के लिए चार संस्थाएं बनाई
पुलिस कांस्टेबल के उन्नयन (Upgradation) पर बल देते हुए पुलिस अधिकारियों को जीवन भर इसके लिए काम करना चाहिए
कार्यक्रम में भारतीय पुलिस सेवा के 72वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों के अलावा नेपाल, भूटान, मालद्वीव और मरीशस के पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए
केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 72वें बैच के परिवीक्षाधीन अधिकारियों से संवाद किया। इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानन्द राय, केंद्रीय गृह सचिव, सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के निदेशक और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कोरोना में जान गँवानेवाले पुलिस और स्वस्थ्य कर्मियों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए डॉक्टर दिवस (Doctor’s Day) और चार्टर्ड चार्टर्ड एकाउंटेंट्स दिवस (CA Day) की शुभकामनायें दी।
युवा पुलिस अधिकारियों से संवाद करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि किसी भी संगठन के लिए व्यवस्था बहुत जरूरी है। उन्होने कहा कि कोई भी संगठन तभी सफलतापूर्वक चलता है जब उसको चलाने वाले व्यवस्था का हिस्सा बन इसको मजबूत करने के लिए काम करें। संगठन की व्यवस्था सुधारने से संगठन स्वतः ही सुधरता है और बेहतर परिणाम देता है। श्री शाह ने यह भी कहा कि संगठन को व्यवस्था केन्द्रित करना ही सफलता का मूल मंत्र है। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह विजन है कि व्यवस्था तभी बदली जा सकती है जब उसकी मशीनरी को आज की आवश्यकताओं के अनुसार प्रशिक्षित किया जाये। उन्होने कहा कि प्रशिक्षण में ही समस्याओं को दूर करने का बीजारोपण किया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति को अधिक से अधिक उत्तरदायी और कर्तव्यपरायण बनाया जा सके। श्री शाह ने कहा कि प्रशिक्षण व्यक्ति के स्वभाव, काम करने की पद्धति और पूरे व्यक्तित्व को ढालने का काम करता है और अगर प्रशिक्षण ठीक से किया जाये तो जीवनभर इसके अच्छे परिणाम आते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री कहा कि पुलिस पर निष्क्रियता (No Action) और अति सक्रियता (Extreme Action) के आरोप लगते हैं। उन्होने कहा कि पुलिस को इनसे बचकर न्यायपूर्ण कार्य (Just Action) की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि जस्ट एक्शन का मतलब है कि स्वाभाविक ऐक्सन और पुलिस को कानून को समझकर न्यायोचित कार्य करना चाहिए।
पुलिस की छवि में सुधार पर श्री अमित शाह ने कहा कि इसके लिए पुलिसकर्मियों को ही काम करना होगा। गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस की छवि में सुधार के लिए “संवाद और संवेदना” जरुरी है, इसीलिए सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने के साथ ही जनता के साथ संवाद और जनसम्पर्क बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री शाह ने कहा कि जनसंपर्क के बिना अपराध के बारे में जानकारी रखना बहुत मुश्किल है इसलिए पुलिस अधीक्षक और उप अधीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारियों को तहसील और गाँव में जाकर लोगों से मिलना चाहिए और रात्रि निवास करना चाहिए। साथ ही अपने क्षेत्र के महत्वपूर्ण पुलिस थानों के अंतर्गत आने इलाके के लोगों से विचार-विमर्श करना चाहिए।
श्री अमित शाह ने युवा पुलिस अधिकारियों से कहा कि आप सबकी संविधान और देश के कानून के प्रति निष्ठा है। उन्होने कहा कि आप के कंधों पर आपराधिक कानून की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी आने वाली है और इसमें थोड़ी सी भी जल्दबाज़ी किसी के साथ अन्याय कर सकती है। इसलिए आपको बहुत संभलकर काम करना चाहिए। देश के संविधान ने हर नागरिक को सुरक्षा का अधिकार दिया है और सुरक्षा देना आपका कर्तव्य है। श्री शाह ने कहा कि देश के प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को एक करने का काम किया और उनके बिना हम आधुनिक भारत की कल्पना भी नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो अखिल भारतीय सेवाओं के बारे में काफी बहस हुई और तब सरदार पटेल ने कहा था कि अगर हमारे पास एक अच्छी अखिल भारतीय सेवा नहीं होगी तो संघ समाप्त हो जाएगा और भारत अखंड नहीं होगा। इसलिए आप सबको सदैव यह याद रखना है कि संघीय ढांचे को मजबूत करना और देश की अखंडता बनाए रखना आपका दायित्व है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने वैज्ञानिक जांच की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी जांच को जितना वैज्ञानिक और साक्ष्य आधारित बनाएँगे मानव शक्ति की जरूरत उतनी ही कम होगी। उन्होने कहा कि पुलिस अधिकारियों को ऐसा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहिए जिसमें उपलब्ध मानव शक्ति का बेहतर और सटीक उपयोग हो सके। उन्होने कहा कि वैज्ञानिक जांच की दिशा में मोदी सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं जिसके तहत पिछले साल राष्ट्रीय रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई और क्राइम सीन से लेकर कोर्टरूम तक जांच को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल फारेनसिक साइंस यूनिवर्सिटी की भी स्थापना हुई। उन्होने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय आने वाले दशकों में भारत में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। केंद्रीय गृहमंत्री ने यह भी कहा कि साइबर क्राइम के लिए भी सरकार ने तीन साल में अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं और साइबर क्राइम से निपटने के लिए चार संस्थाएं बनाई हैं। उन्होने कहा कि इनके बारे में तेजी से जागरूकता फैलाने की जरूरत है। गृह मंत्री ने कहा कि साइबर क्राइम के साथ ही आर्थिक अपराध और नारकोटिक्स से निपटने के लिए भी अनेक कदम उठाए गए हैं।
श्री अमित शाह ने पुलिस कांस्टेबल के उन्नयन (Upgradation) पर बल देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों को जीवन भर इसके लिए काम करना चाहिए। उन्होने कहा कि पुलिसबलों में 85 प्रतिशत कांस्टेबल हैं जो पुलिस व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। श्री शाह ने कहा की अगर हम उनका बेहतर प्रशिक्षण, स्वास्थ्य, काम के अच्छे वातावरण और रहने की चिंता नहीं करते तो क्या बाकी बचे 15 प्रतिशत लोग संस्था को अच्छे से चला सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि पुलिस में सबसे अधिक कठिन ड्यूटी कांस्टेबल की होती है इसलिए उन्हें सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराना और उनके प्रति संवेदनशीलता रखना बहुत आवश्यक है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मतदाता, चुने हुए प्रतिनिधि और ब्यूरोक्रेसी मिलकर लोकतंत्र की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। जनप्रतिनिधि तो 5 साल के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं जबकि सरकारी अधिकारी 30-35 साल काम करते हैं। उन्होने कहा कि परिवीक्षाधीन पुलिस अधिकारी लोकतंत्र और संवैधानिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। श्री शाह ने कहा कि उन्हें देश के गरीब, पिछड़ों, दलित और आदिवासी लोगों के प्रति संवेदनशील रहते हुए देश को आगे बढ़ाने का काम करना होगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों और विशेष रूप से आईपीएस अधिकारियों को प्रचार से दूर रहना चाहिए। प्रचार की लालसा से काम में बाधा आती है। उन्होने कहा कि हालाकि आधुनिक समय में सोशल मीडिया से बचना कठिन है लेकिन पुलिस अधिकारियों को इससे बचते हुए अपने कर्तव्यों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि पुलिस अकादमी छोड़ने से पहले आप सब को यह प्रण करना चाहिए कि आप सब रोज अपनी डायरी में यह लिखेंगे कि आपने जो काम किया है वह सिर्फ प्रचार के लिये तो नहीं किया।
श्री अमित शाह ने कहा कि पुलिस व्यवस्था में साइड पोस्टिंग का कांसेप्ट आ गया है। उन्होने कहा कि आपको अपने पूरे सेवाकाल में इससे बचना चाहिए क्योंकि पुलिस व्यवस्था में ऐसा कोई काम नहीं है जिसका महत्व ना हो। श्री शाह ने कहा कि इसकी वजह से आप तनाव में रहते हैं और कई बार ट्रांसफर के दबाव में अपना काम भी ठीक से नहीं कर पाते । उन्होने कहा कि अगर आप ट्रांसफर का मन बना लेते हैं तो आप पर दबाव और तनाव बहुत कम हो जाएगा। ट्रांसफर का भय खत्म होने पर आप अपनी ड्यूटी बेहतर ढंग से कर पाएंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने भारतीय पुलिस सेवा में शामिल होने की शुभकामनायें देते हुए कहा कि युवा आईपीएस अधिकारियों में काम करने का उत्साह और समस्याओं को सुलझाने का जबरजस्त हौसला है। श्री शाह ने कहा की उन्हें पूरा विश्वास है कि ये युवा अधिकारी देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अपेक्षाओं को अवश्य पूरा करेंगे। कार्यक्रम में भारतीय पुलिस सेवा के 72वें बैच के परिवीक्षाधीन पुलिस अधिकारियों के अलावा नेपाल, भूटान, मालद्वीव और मरीशस के पुलिस अधिकारी भी शामिल हुए।